मूस मोटइहें, लोढ़ा होइहें, ना हाथी, ना घोड़ा होइहें (Moos Motaihen, Lodha Hoihen, Na Hathi, Na Ghora Hoihen)
मूस मोटइहें, लोढ़ा होइहें, ना हाथी, ना घोड़ा होइहें (68th BPSC Essay) भारतीय समाज में लोक कथाएँ और लोकोक्तियाँ केवल […]
मूस मोटइहें, लोढ़ा होइहें, ना हाथी, ना घोड़ा होइहें (68th BPSC Essay) भारतीय समाज में लोक कथाएँ और लोकोक्तियाँ केवल […]
अगिला खेती आगे-आगे, पछिला खेती भागे-जागे (68th BPSC Essay) समय का महत्व हर क्षेत्र में होता है, चाहे वह खेती
पानी में मछरिया, नौ-नौ कुटिया बखरा (68th BPSC Essay) गाँव के एक छोटे से कस्बे में मोहन नाम का एक
पानी में मछरिया, नौ-नौ कुटिया बखरा (Paani mein machharia, nau-nau kutia bakharaa) Read Post »
धर्म के बिना विज्ञान नंगर छै, विज्ञान के बिना धर्म अंधकार छै। (68th BPSC Essay) अल्बर्ट आइंस्टीन का यह कथन
कोविड के बाद बदलाव माँगती शिक्षा। (68th BPSC Essay in Hindi) परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है, और समय के
विचार जीवन का आधार है। (68th BPSC Essay In Hindi) मनुष्य के जीवन की दिशा और दशा उसके विचारों से
विचार जीवन का आधार है। /Thought is the base of life. (68th BPSC Essay) Read Post »
इंटरनेट ने हमारे संसार को विश्वगाँव में बदल दिया है। (68th BPSC Essay) तकनीकी प्रगति ने मानव सभ्यता को निरंतर
हम इतिहास-निर्माता नहीं हैं, बल्कि हम इतिहास द्वारा निर्मित हैं। (68th BPSC Essay) इतिहास केवल अतीत की घटनाओं का संकलन
उत्कृष्ट कला हमारे अनुभव को प्रकाशित करती है या सत्य को उद्घाटित करती है। (68th BPSC Essay) मानव सभ्यता के
अपने अनिवार्य कर्तव्य का पालन करें क्योंकि कर्म निश्चय ही निष्क्रियता से उत्तम है। (68th BPSC Essay) मानव जीवन में
साहित्य ज्ञान का केवल एक स्रोत ही नहीं है, साथ ही वह नैतिक और सामाजिक क्रिया का भी एक रूप
जंगल अपने पेड़ स्वयं तैयार करता है। यह लोगों के जंगल में आकार बीज फेंकने का इंतजार नहीं करता है।