विश्व-कल्याण आध्यात्मिक चेतना के बिना असम्भव है / World welfare is impossible without spiritual consciousness
विश्व-कल्याण आध्यात्मिक चेतना के बिना असम्भव है (70th BPSC Essay) विश्व-कल्याण आध्यात्मिक चेतना के बिना असम्भव है। यह वाक्य अपने […]
विश्व-कल्याण आध्यात्मिक चेतना के बिना असम्भव है (70th BPSC Essay) विश्व-कल्याण आध्यात्मिक चेतना के बिना असम्भव है। यह वाक्य अपने […]
शिथिल कानून और व्यवस्था नारी सशक्तीकरण की बाधा है (70th BPSC Essay) शिथिल कानून और व्यवस्था नारी सशक्तीकरण की एक
भ्रष्टाचार का अन्त और देश का उत्थान (70th BPSC Essay) भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जो किसी भी देश की
भ्रष्टाचार का अन्त और देश का उत्थान / End of corruption and upliftment of the country Read Post »
राजनीतिक इच्छाशक्ति और देश की सुरक्षा (70th BPSC Essay) किसी भी राष्ट्र की स्थिरता, प्रगति और समृद्धि का मूल आधार
राजनीतिक इच्छाशक्ति और देश की सुरक्षा / Political Will and National Security Read Post »
भूमि संरक्षण और जैविक खेती (70th BPSC Essay) प्रकृति ने हमें अनेक अमूल्य उपहार दिए हैं, जिनमें भूमि सबसे महत्वपूर्ण
भूमि संरक्षण और जैविक खेती / Soil Conservation and Organic Farming Read Post »
पर्यावरण असन्तुलन सृष्टि का विनाशक है (70th BPSC Essay) एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में प्रकृति
देश का विकास और सूचना प्रौद्योगिकी (70th BPSC Essay) आज के युग को यदि सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) का युग
देश का विकास और सूचना प्रौद्योगिकी /Country Development and Information Technology Read Post »
समकालीन वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की महत्ता (70th BPSC Essay) आज के वैश्विक परिदृश्य में भारत एक उभरती हुई महाशक्ति
जइसन बोअबड ओइसने कटबड (70th BPSC Essay) एक समय की बात है, एक किसान के दो बेटे थे। किसान अपने
जइसन बोअबड ओइसने कटबड | Jaisan Boabad Oisane Katbad Read Post »
बापक नाम साग-पात आ बेटाक नाम परोर (70th BPSC Essay) ग्रामीण जीवन में एक प्रसिद्ध कहावत है — “बापक नाम
बापक नाम साग-पात आ बेटाक नाम परोर | Bapak Nam Sag-Pat Aa Betak Nam Paror Read Post »
जिअते माछी नाहीं घोंटाई (70th BPSC Essay) “जिअते माछी नाहीं घोंटाई” एक प्रसिद्ध लोकप्रचलित कहावत है, जो हमारे जीवन के
जिअते माछी नाहीं घोंटाई | Jiate Machhi Nahin Ghontai Read Post »
बनले के साथी सब केहू ह अउरी बिगड़ले के केहु नाहीं (70th BPSC Essay) किसी गांव में एक साधु बाबा
मूस मोटइहें, लोढ़ा होइहें, ना हाथी, ना घोड़ा होइहें (68th BPSC Essay) भारतीय समाज में लोक कथाएँ और लोकोक्तियाँ केवल
अगिला खेती आगे-आगे, पछिला खेती भागे-जागे (68th BPSC Essay) समय का महत्व हर क्षेत्र में होता है, चाहे वह खेती
पानी में मछरिया, नौ-नौ कुटिया बखरा (68th BPSC Essay) गाँव के एक छोटे से कस्बे में मोहन नाम का एक
पानी में मछरिया, नौ-नौ कुटिया बखरा (Paani mein machharia, nau-nau kutia bakharaa) Read Post »
धर्म के बिना विज्ञान नंगर छै, विज्ञान के बिना धर्म अंधकार छै। (68th BPSC Essay) अल्बर्ट आइंस्टीन का यह कथन
कोविड के बाद बदलाव माँगती शिक्षा। (68th BPSC Essay in Hindi) परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है, और समय के
विचार जीवन का आधार है। (68th BPSC Essay In Hindi) मनुष्य के जीवन की दिशा और दशा उसके विचारों से
विचार जीवन का आधार है। /Thought is the base of life. (68th BPSC Essay) Read Post »