भारतीय मानसून तंत्र की क्रियाविधि एवं विशेषताओं का विश्लेषण कीजिए। Analysis of the Mechanism and Characteristics of the Indian Monsoon System (69th BPSC)

भारतीय मानसून तंत्र की क्रियाविधि एवं विशेषताओं का विश्लेषण कीजिए। (69th BPSC)

भारतीय मानसून तंत्र की क्रियाविधि

भारतीय मानसून तंत्र मुख्य रूप से वायुदाब के परिवर्तन, महासागरीय धाराओं, स्थल एवं जल के तापमान में भिन्नता, तथा हिमालय और तिब्बत के पठार जैसे भौगोलिक तत्वों से प्रभावित होता है। इसकी प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में समझी जा सकती है—

  1. गर्मी के प्रभाव से निम्न वायुदाब का निर्माण
    • भारत में ग्रीष्म ऋतु के दौरान, विशेष रूप से उत्तरी मैदानों में तीव्र तापमान वृद्धि के कारण निम्न वायुदाब क्षेत्र (ITCZ – Inter-Tropical Convergence Zone) का निर्माण होता है।
    • यह निम्न वायुदाब बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी युक्त पवनों को आकर्षित करता है।
  1. दक्षिण-पश्चिमी मानसून का प्रवाह
    • मानसून हवाएँ जून के आरंभ में केरल तट से भारत में प्रवेश करती हैं।
    • यह हवाएँ मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित होती हैं—
      (i) अरब सागर की शाखा: पश्चिमी घाट से टकराकर तीव्र वर्षा करती है और पश्चिमी तटीय क्षेत्रों को आर्द्र बनाती है।
      (ii) बंगाल की खाड़ी की शाखा: उत्तर-पूर्वी भारत में भारी वर्षा का कारण बनती है, विशेषकर मेघालय के मासिनराम क्षेत्र में।
  1. देश के विभिन्न हिस्सों में मानसूनी प्रभाव
    • मध्य भारत एवं उत्तरी मैदानों में मानसून जून के अंत तक पहुँचता है और जुलाई तक संपूर्ण भारत में फैल जाता है।
    • राजस्थान और पश्चिमी भारत में मानसून अपेक्षाकृत कम वर्षा करता है, क्योंकि अरावली पर्वतमाला मानसूनी हवाओं को बाधित नहीं करती।
    • हिमालय से टकराकर मानसूनी हवाएँ उत्तर भारत में वर्षा का कारण बनती हैं।
  1. मानसून का लौटना (अक्टूबर-नवंबर)
    • मानसून सितंबर के अंत से पीछे हटने लगता है, जिसे ‘उत्तर-पूर्वी मानसून’ कहते हैं।
    • इस दौरान, हवाएँ बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में वर्षा करती हैं।
भारतीय मानसून की विशेषताएँ
  1. अनिश्चितता: मानसून की आगमन और वापसी की तिथि निश्चित नहीं होती, जिससे कृषि पर प्रभाव पड़ता है।
  2. भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: इसे “भारत का वास्तविक वित्त मंत्री” कहा जाता है, क्योंकि भारतीय कृषि मुख्यतः मानसूनी वर्षा पर निर्भर है।
  3. मौसमी पवन: मानसून मुख्य रूप से मौसमी हवाएँ हैं जो एक विशेष समय में दिशा परिवर्तन करती हैं।
  4. वर्षा के प्रकार: भारत में मानसून के कारण दो प्रकार की वर्षा होती है— (i) पर्वतीय वर्षा (ii) चक्रवातीय वर्षा।
  5. असमय और असमान वर्षा: मानसूनी वर्षा देश के विभिन्न हिस्सों में असमान रूप से वितरित होती है।
  6. अनिश्चित मात्रा: कभी मानसून सामान्य से अधिक वर्षा करता है, तो कभी सूखा पड़ जाता है।
  7. रुक-रुक कर वर्षा: मानसूनी वर्षा निरंतर नहीं होती, बल्कि अंतराल के साथ होती है।
  8. तापमान नियंत्रण: मानसूनी वर्षा के कारण भारत के अधिकांश भागों में तापमान में गिरावट आती है।

Download Pdf 👇

Scroll to Top