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देश का विकास और सूचना प्रौद्योगिकी (70th BPSC Essay)
आज के युग को यदि सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) का युग कहा जाए, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सूचना प्रौद्योगिकी ने जिस तरह से मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है, वह अद्वितीय है। विशेषकर विकासशील देशों के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एक वरदान के समान है, जिसने सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं। भारत जैसे विशाल देश में, जहाँ विविधताएँ, चुनौतियाँ और संभावनाएँ समान रूप से विद्यमान हैं, सूचना प्रौद्योगिकी ने देश के विकास को एक नई दिशा और गति प्रदान की है।
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का इतिहास स्वतंत्रता के बाद के दशक से प्रारंभ होता है, लेकिन वास्तविक प्रगति 1990 के दशक में उदारीकरण की नीति के बाद देखने को मिली। इंटरनेट, कंप्यूटर, मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल साधनों के प्रसार ने भारत को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। विशेषकर 21वीं सदी में भारत को “आईटी महाशक्ति” (IT Superpower) के रूप में पहचान मिली है। बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे जैसे शहर सूचना प्रौद्योगिकी के हब बन गए हैं, जहाँ से दुनिया भर की कंपनियों को सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं।
“ज्ञान ही शक्ति है।” — यह कहावत सूचना प्रौद्योगिकी के युग में पूर्णत: सत्य सिद्ध होती है, क्योंकि आज ज्ञान और सूचना तक त्वरित पहुँच ही विकास का सबसे बड़ा आधार बन चुकी है।
सूचना प्रौद्योगिकी ने देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। लाखों युवाओं को सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डेटा एनालिसिस, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में रोजगार मिला है। “स्टार्टअप इंडिया” और “डिजिटल इंडिया” जैसी सरकारी पहल ने भी सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देकर उद्यमिता को प्रोत्साहित किया है। आज भारत में हजारों स्टार्टअप्स तकनीक के माध्यम से न केवल स्थानीय समस्याओं का समाधान कर रहे हैं, बल्कि वैश्विक बाजारों में भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में भी सूचना प्रौद्योगिकी ने क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। ऑनलाइन शिक्षा, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म, डिजिटल लाइब्रेरी और वर्चुअल क्लासरूम जैसी सुविधाओं ने ज्ञान की पहुँच को सुलभ और व्यापक बनाया है। ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे भी अब उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुँच प्राप्त कर रहे हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षा ने शिक्षा प्रणाली को गतिशील बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी प्रकार, स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी टेलीमेडिसिन, ई-हेल्थ रिकॉर्ड और स्वास्थ्य ऐप्स ने चिकित्सा सेवाओं को सुगम और सुलभ बना दिया है।
सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने में भी सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। आज अधिकांश सरकारी सेवाएँ डिजिटल माध्यम से उपलब्ध हैं। आधार कार्ड, डिजिलॉकर, भीम एप, उमंग एप जैसी पहल ने आम जनता को सुविधाएँ प्रदान करने में बड़ी मदद की है। कर भुगतान, पेंशन वितरण, राशन वितरण जैसे कार्यों में भी पारदर्शिता आई है, जिससे भ्रष्टाचार में कमी आई है और सेवा वितरण में तेजी आई है।
राजनीति और शासन में भी सूचना प्रौद्योगिकी का व्यापक प्रभाव पड़ा है। चुनाव प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और मतदाता पहचान पत्र के डिजिटल रिकॉर्ड ने पारदर्शिता बढ़ाई है। साथ ही, सोशल मीडिया के माध्यम से जनता और सरकार के बीच सीधा संवाद स्थापित हुआ है। जन शिकायत निवारण पोर्टल, ऑनलाइन जनसुनवाई और सोशल मीडिया पर सक्रिय सरकारी अधिकारी अब जनता की समस्याओं को शीघ्र सुन और सुलझा रहे हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी ने सामाजिक सशक्तिकरण में भी अहम भूमिका निभाई है। इंटरनेट के माध्यम से महिलाएँ, अल्पसंख्यक समुदाय और वंचित वर्ग अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने उन्हें न केवल ज्ञान और सूचना प्राप्त करने का अवसर दिया है, बल्कि स्वरोजगार और उद्यमिता के नए रास्ते भी खोले हैं। डिजिटल साक्षरता मिशन जैसे कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी साक्षरता बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे देश का समग्र विकास संभव हो रहा है।
“तकनीक एक साधन है, विकास एक लक्ष्य है।” — जब हम सूचना प्रौद्योगिकी का सही और समावेशी उपयोग करते हैं, तब यह साधन राष्ट्र को विकास की ऊँचाइयों तक ले जाता है।
हालांकि, सूचना प्रौद्योगिकी के साथ कुछ चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। साइबर अपराध, डेटा चोरी, ऑनलाइन ठगी जैसी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। इसके अलावा, डिजिटल डिवाइड यानी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच तकनीकी पहुँच का अंतर भी एक बड़ी समस्या है। सरकार और समाज को मिलकर यह प्रयास करना होगा कि तकनीक का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे।
सूचना प्रौद्योगिकी के सकारात्मक प्रभावों को देखते हुए सरकार ने “डिजिटल इंडिया” मिशन के तहत देश के हर गाँव और शहर को इंटरनेट से जोड़ने का संकल्प लिया है। ई-गवर्नेंस, स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ, डिजिटल भुगतान प्रणाली, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन तकनीक आदि भविष्य के विकास को गति देने वाले क्षेत्र हैं। आने वाले समय में 5G तकनीक, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), मशीन लर्निंग और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके भारत एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ सकता है।
महात्मा गांधी ने कहा था, “भारत का भविष्य उसके गाँवों में बसता है।” आज के डिजिटल युग में यदि हम सूचना प्रौद्योगिकी को गाँवों तक पहुँचा सकें, तो निश्चित ही संपूर्ण देश का विकास संभव हो सकेगा।
अंततः कहा जा सकता है कि सूचना प्रौद्योगिकी ने भारत को एक नई उड़ान दी है। यह केवल तकनीकी विकास का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव और आर्थिक उन्नति का माध्यम भी है। यदि इसे सही दिशा और उद्देश्य के साथ अपनाया जाए, तो सूचना प्रौद्योगिकी भारत को विश्वगुरु बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। देश का विकास अब सूचना प्रौद्योगिकी के कुशल, सुरक्षित और समावेशी उपयोग पर निर्भर है। यही भविष्य का मार्ग है।
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