विचार जीवन का आधार है। /Thought is the base of life. (68th BPSC Essay)

विचार जीवन का आधार है। (68th BPSC Essay In Hindi)

मनुष्य के जीवन की दिशा और दशा उसके विचारों से निर्धारित होती है। विचार ही वह मूल तत्व हैं जो किसी व्यक्ति को महानता की ओर ले जाते हैं या पतन के गर्त में धकेल देते हैं। इतिहास इस बात का साक्षी है कि जिन्होंने उच्च विचारों को अपनाया, वे समाज के लिए प्रेरणा बने, जबकि संकीर्ण या नकारात्मक विचारों ने व्यक्ति और समाज को विनाश की ओर धकेला। इस प्रकार, विचार ही जीवन का आधार हैं, क्योंकि वे हमारे कर्मों को दिशा प्रदान करते हैं और हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।

विचारों की शक्ति अद्भुत होती है। वे न केवल मनुष्य के आचरण और व्यक्तित्व को गढ़ते हैं, बल्कि समाज और सभ्यता की प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महात्मा गांधी का अहिंसा का विचार पूरे स्वतंत्रता संग्राम में प्रेरणा स्रोत बना और भारत को अंग्रेज़ी हुकूमत से मुक्ति दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया। दूसरी ओर, हिटलर के विध्वंसकारी विचारों ने विश्व को द्वितीय विश्व युद्ध की भयावहता में झोंक दिया। इससे स्पष्ट होता है कि सकारात्मक और नकारात्मक विचारों का प्रभाव कितना व्यापक हो सकता है।

इतिहास को खंगालें तो हमें हर कालखंड में ऐसे व्यक्ति मिलते हैं, जिन्होंने अपने विचारों के बल पर दुनिया को नई दिशा दी। गौतम बुद्ध ने जीवन और दुखों के विषय में गहराई से विचार किया और अपना जीवन बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में लगा दिया। उनके विचार आज भी लाखों-करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। न्यूटन और आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों के मौलिक विचारों ने विज्ञान की दुनिया में क्रांति ला दी। स्वामी विवेकानंद के विचारों ने युवाओं को जाग्रत किया और उनमें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित की।

व्यक्ति के विचार उसके जीवन की दिशा तय करते हैं। एक सकारात्मक विचारशील व्यक्ति न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी उपयोगी सिद्ध होता है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने वैज्ञानिक अनुसंधानों में योगदान देकर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई। दूसरी ओर, असत्य, छल और कपट से भरे विचार रखने वाले व्यक्ति समाज के लिए घातक सिद्ध होते हैं। इसीलिए कहा जाता है— “जैसा सोचोगे, वैसा बनोगे।”

समाज का स्वरूप भी व्यक्तियों के विचारों पर निर्भर करता है। यदि समाज में नकारात्मक विचारों का बोलबाला होगा तो वहां अशांति, अपराध और भेदभाव पनपेंगे। इसके विपरीत, यदि समाज में सकारात्मक, सृजनात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचारों का प्रसार होगा, तो वहां शांति, सद्भाव और विकास की स्थिति बनेगी। महात्मा गांधी का विचार था— “यदि आप दुनिया में परिवर्तन देखना चाहते हैं, तो पहले स्वयं में परिवर्तन लाएँ।” यही विचार समाज में बदलाव लाने की कुंजी है।

विचारों और कर्मों का आपस में गहरा संबंध होता है। विचार हमारे कर्मों को नियंत्रित करते हैं और कर्म हमारे जीवन की सफलता या असफलता को निर्धारित करते हैं। यदि हमारे विचार सात्विक, नैतिक और सृजनात्मक होंगे, तो हमारे कर्म भी वैसे ही होंगे और जीवन में सफलता की संभावनाएँ बढ़ जाएँगी। इसके विपरीत, यदि हमारे विचार हीन, स्वार्थी और विध्वंसकारी होंगे, तो हमारे कर्म भी वैसे ही होंगे, जिससे जीवन में असफलता और निराशा ही हाथ लगेगी।

सकारात्मक विचारों को अपनाने के लिए हमें सदैव अच्छे और ऊर्जावान विचारों को अपनाना चाहिए। संगति का प्रभाव व्यक्ति के विचारों पर पड़ता है, इसलिए सत्संगति अपनानी चाहिए। प्रेरणादायक पुस्तकों का अध्ययन करना, नियमित आत्ममंथन करना और समाज व राष्ट्र के कल्याण की भावना विकसित करना आवश्यक है, जिससे विचारों में परिपक्वता आए।

विचार ही जीवन का आधार हैं। वे हमारे व्यक्तित्व, समाज और इतिहास को गढ़ते हैं। सकारात्मक और मौलिक विचारों से व्यक्ति महान बन सकता है और समाज को एक नई दिशा दे सकता है। इसलिए, हमें अपने विचारों को शुद्ध, नैतिक और सृजनात्मक बनाना चाहिए, जिससे न केवल हमारा जीवन बल्कि पूरा समाज भी प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हो सके। “मनुष्य जैसा सोचता है, वैसा ही वह बन जाता है।” इस कथन को आत्मसात कर हम अपने विचारों के माध्यम से अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।

Download Pdf 👇

7. विचार जीवन का आधार है।.pdf

error: Content is protected !!
Scroll to Top